Thursday, September 6, 2012

राष्ट्रीय एकता पर ग्रहण !

आज भारत के समक्ष आंतरिक सुरक्षा के मोर्चे पर एक साथ कई चुनौतिया खड़ी हुई दिखाई देती हैं | एक ओर जहाँ आतंकवादियों के निसाने पर भारत पिछले दो दशकों से रहा है, वही भारतीय लोकतन्त्र की अति लचीलापन प्रकृति भी ऐसे राजनीतिक तत्वों को हौसला प्रदान कर रही हैं कि जो राष्ट्रीय एकता की भावनाओं को नष्ट कर रही हैं |
    ताज़ा उदाहरण महाराष्ट्र नव निर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे का है जो अपने विवादित बयानों के लिए कुप्रसिद्ध हैं, उन्होने अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए निशाने अभी फिर बिहारी निवासियों को लिया है और कहा  है कि "बिहारी घुसपैठिए हैं इनको महाराष्ट्र से निकाल देना चाहिए" | जब तक ये नेता क्षेत्रियता को हवा देते रहेंगे तब तक राष्ट्रीय एकता की भावना को मजबूत नही किया जा सकता | इन मामलों पर कठोर कार्यवाई की जरूरत है पर केंद्र सरकार में ऐसी इच्छाशक्ति की कमी है |
    अभी हमने देखा था कि कैसे असम दंगो के बाद उत्तरपूर्व के लोगो का पलायन दक्षिणभारत के शहरों से होने लगा था जो की SMS से फैले अफवाहों पर आधारित थे | समय पर सरकारों के द्वारा कोई कार्यवाही नही हो पायी थी, बाद मे खुफिया जाँच मे कहा गया कि ये SMS पाकिस्तान से भेजे गए थे | कितनी हास्यास्पद बात है की भारत अपने अन्दर घटित होने वाले सारे घटनाओं कि ज़िम्मेदारी पाकिस्तान पे डाल देता हैं, लगता है कि यहाँ की गुप्तचर एजेंसियां पंगु हो चुकी हैं, क्योंकि सूचनाओं के होते हुए भी समय पर उनका उपयोग नही हो पा रहा है, हाल ही में गठित "एनआईए" भी निष्प्रभावी हो गया है |
      पूर्वोत्तर में अनेक उग्रवादी संगठन वाह्य ताकतों की मदद से राष्ट्रीय एकता के लिए चुनौती बने हुए हैं जिनका अभी तक कोई समाधान नही निकल पाया है, वहा बंगलादेश से लगातार हो रहे घुसपैठ से आंतरिक सुरक्षा पर दबाव बढ़ गया है जो की असम के दंगों का मूल कारण था |
    अगर बात कश्मीर कि करें तो वहाँ भी राष्ट्रविरोधी लहर तेज हो गयी है और समस्या जस की तस है जिसमे समय समय पर उबाल आता रहता है, मजेदार बात ये है की कश्मीर में अलगाववादियों को उनके मानवाधिकार की आड़ में खुली छूट मिली हुई है जोकि लगातार देश विरोधी गतिविधियों मे लिप्त रहते हैं | जो धारा -370 कब का समाप्त हो जाना चाहिए था अभी तक विध्यमान है |
हमारे देश मे राजनीतिक पार्टियों की जाति और धर्म आधारित वोट बैंक की नीतियों ने भी राष्ट्रीय एकता पर गहरा आघात किया है जिसपर तुरंत रोक लगाने की जरूरत है |
    उपरोक्त सभी चुनौतियों का सामना केंद्र सरकार द्वारा यदि समय रहते नही किया गया तो आने वाली भीषण त्रासदी को रोका नही जा सकता | अतः हम सभी को विघटनकारी शक्तियों से सावधान रहते हुये राष्ट्रीय एकता की भावना को सबल बनाने मे अपना अहम योगदान देना होगा |


जय हिन्द , जय भारत ||